हुसैनाबाद में CO और C I पर बर्बरता का आरोप- बिना नोटिस जमीन पर पहुंचे, युवक की गला दबाकर की पिटाई, FIR से किया इनकारCO and CI accused of brutality in Hussainabad - reached the land without notice, thrashed the youth by strangling him, refused to file FIR
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घटना स्थल पर लोगों की भीड़ का दृश्य |
📍 पीड़ित रविंदर कुमार मेहता बोले – CO पंकज कुमार ने दबाया गला, CI संतोष कुमार ने की पिटाई, थाना प्रभारी ने कहा – वरिष्ठ अधिकारी के खिलाफ है, आवेदन नहीं लेंगे"
🔸 घटना का संक्षिप्त विवरण
तारीख: 31 मई 2025
स्थान: ग्राम बेल बिगहा, टोला धावाबार, थाना हुसैनाबाद, जिला पलामू
पीड़ित रविंदर कुमार मेहता, पिता – सुरेश मेहता, निवासी – ग्राम बेल बिगहा, टोला धावाबार, ने एक सनसनीखेज आरोप लगाया है कि हुसैनाबाद अंचलाधिकारी (CO) पंकज कुमार, प्रभारी निरीक्षक (CI) संतोष कुमार, एवं साथ आए पुलिसकर्मियों ने बिना किसी नोटिस या वारंट के उनके निर्माणाधीन आवासीय भूखंड पर पहुँचकर मारपीट की, गला दबाया और जान से मारने की धमकी दी।
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Co पंकज कुमार गुस्से की मुद्रा में |
🔸 क्या हुआ उस दिन – पीड़ित की जुबानी
पीड़ित ने बताया कि दोपहर लगभग 2:30 से 3:00 बजे के बीच, CO पंकज कुमार, CI संतोष कुमार एवं अन्य पुलिसकर्मियों की टीम उनके निर्माणाधीन मकान पर पहुंची। उनके भाई ने उन्हें पुराने घर से बुलाया।
CO ने दस्तावेज मांगे, तो रविंदर ने खाता संख्या 133, प्लॉट संख्या 123, रकबा – 1.85 एकड़ की वैध रजिस्ट्री व अन्य दस्तावेज दिखाए, जो उनके दादा जवाहिर मेहता और द्वारिका मेहता के नाम खरीदी गई थी।
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पीड़ित रविंदर कुमार मेहता शिक्षक |
रविंदर ने उन्हें यह भी बताया कि भूमि अब हाल सर्वे में सरकारी खाते में दर्ज हो गई है, जिसके खिलाफ उन्होंने वाद संख्या 1182/8 धारा 87 के तहत मामला चल रहा है।
🔸(अभद्र) जान से मार देंगे – CO का धमकी भरा रवैया
पीड़ित के अनुसार, जब उन्होंने ज़मीन से जुड़ी भ्रष्टाचार की बात उठाई कि कुछ लोग "रिश्वत लेकर ज़मीनों को अनाबाद घोषित करवा रहे हैं तो CO पंकज कुमार अचानक उग्र हो गए और बोले –
काम जैसे बंद है, वैसे ही बंद रहेगा।(अभद्र) , जान से मार देंगे।
इसके बाद उन्होंने गला दबा दिया और CI संतोष कुमार ने पकड़कर पीटना शुरू कर दिया। वहीं अन्य पुलिसकर्मियों ने प्लास्टिक के डंडों से बेरहमी से पिटाई की।
🔸 वीडियो बनाने पर और धमकी मिली
जब रविंदर ने किसी तरह भागते हुए घटना की वीडियो रिकॉर्डिंग शुरू की, तो वे सब फिर से धमकाते हुए बोले –
फोन बंद करो इधर आओ रे इधर आ
अभद्र भाषा और दुर्व्यवहार करते हुए अधिकारियों ने उन्हें दोबारा बुलाने की कोशिश की।
गांव के दर्जनों लोग इस घटना के साक्षी हैं।
FIR दर्ज कराने से थाना ने किया इनकार – वरिष्ठ अधिकारी के खिलाफ है
रविंदर ने 31 मई को हुसैनाबाद थाना में घटना की रिपोर्ट दर्ज कराने की कोशिश की, लेकिन थाना प्रभारी ने स्पष्ट रूप से मना कर दिया, ये कहते हुए –
कि शिकायत वरीय अधिकारी CO पंकज कुमार के खिलाफ है, इसे हम नहीं ले सकते।
🔸 विधायक संजय यादव से गुहार, SDO और SDPO से हुई बात, तब जाकर हुआ आवेदन स्वीकार
थक-हारकर रविंदर कुमार मेहता ने वर्तमान विधायक श्री संजय यादव से संपर्क किया।
विधायक ने मामले की गंभीरता को समझते हुए हुसैनाबाद SDO गौरांग महतो, और हुसैनाबाद SDPO SM मोहम्मद याकूब से फोन पर बातचीत की।
फिर SM मोहम्मद याकूब के हस्तक्षेप से थाना प्रभारी ने 1 जून 2025 को आवेदन स्वीकार किया।
🔸पीड़ित ने SDO, SDPO को भी दी प्रतिलिपि
रविंदर कुमार मेहता ने घटना की लिखित प्रतिलिपि हुसैनाबाद SDO गौरांग महतो व SDPO SM मोहम्मद याकूब को भी सौंपी है।
🔸 कानूनी सवाल: क्या CO और CI को है यह अधिकार?
विशेषज्ञों के अनुसार, बिना किसी न्यायिक आदेश, नोटिस या प्रक्रिया के किसी नागरिक की भूमि पर पहुँचकर दबाव बनाना, मारपीट करना न केवल गैरकानूनी है, बल्कि यह संविधान और मानवाधिकार का उल्लंघन भी है।
📜 कानूनी बिंदु:
CrPC की धारा 154: FIR दर्ज करना अनिवार्य
धारा 166 IPC: पद का दुरुपयोग कर कानून न मानना
मानवाधिकार अधिनियम 1993: बिना न्यायिक प्रक्रिया के शारीरिक उत्पीड़न मानवाधिकार उल्लंघन माना जाएगा
अनुच्छेद 21: जीवन और स्वतंत्रता का मूल अधिकार
🔸 प्रशासनिक जवाबदेही बनाम सत्ता का दुरुपयोग
यह मामला यह सवाल खड़ा करता है कि:
क्या CO पंकज कुमार और CI संतोष कुमार को बिना किसी वैधानिक आदेश के यह अधिकार था?
क्यों थाना प्रभारी ने प्राथमिकी लेने से मना किया?
क्या एक आम नागरिक की आवाज तभी सुनी जाएगी जब कोई जनप्रतिनिधि हस्तक्षेप करे?
🔸 पीड़ित की मांग – FIR दर्ज कर दोषियों पर हो सख्त कानूनी कार्रवाई
रविंदर कुमार मेहता ने CO पंकज कुमार, CI संतोष कुमार एवं संलग्न पुलिसकर्मियों के खिलाफ FIR दर्ज कर सख्त कानूनी कार्रवाई की मांग की है।
घटना पर प्रतिक्रिया लेने हेतु जब CI संतोष कुमार से दूरभाष पर संपर्क किया गया तो कोई संपर्क संवाद हेतु नहीं हुआ
✅ निष्कर्ष: न्याय की उम्मीद अब प्रशासन से नहीं, जनता से है?
एक ओर सरकार "जनसुनवाई और पारदर्शिता" की बात करती है, वहीं दूसरी ओर सरकारी पदों पर बैठे कुछ अधिकारी शक्ति का खुला दुरुपयोग कर रहे हैं।
यदि इस प्रकरण में निष्पक्ष जांच नहीं हुई, तो यह लोकतंत्र के सबसे निचले स्तर – नागरिक के अधिकार को सीधे चुनौती देगा।
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