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हुसैनाबाद की अनदेखी ज़रूरतें: सीमावर्ती क्षेत्र की सच्चाई The overlooked needs of Husainabad: The reality of a border region

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कुमारी रश्मि मेहता अधिवक्ता रांची हाईकोर्ट


लेखिका – कुमारी रश्मि मेहता, अधिवक्ता, उच्च न्यायालय रांची

झारखंड के उत्तर-पश्चिमी छोर पर बसा हुसैनाबाद, जो बिहार सीमा से सटा हुआ है, आज भी बुनियादी सुविधाओं के अभाव में जी रहा है। यह इलाका राज्य के नक्शे पर एक सीमांत क्षेत्र जरूर है, लेकिन यहां के नागरिक भी उतने ही अधिकार रखते हैं जितने किसी अन्य शहर या कस्बे के। लेकिन वास्तविकता यह है कि यहां विकास की रोशनी बहुत कम पहुंच पाई है।

शिक्षा: एक उज्ज्वल भविष्य की आधारशिला

हुसैनाबाद के विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था बेहद चिंताजनक है। बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का नितांत अभाव है। ऐसे में कैसे उम्मीद की जा सकती है कि यहां के छात्र राज्य या देश स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकेंगे? आवश्यकता है शिक्षकों की नियुक्ति, संसाधनों की पूर्ति और आधुनिक शिक्षा पद्धति को अपनाने की।

स्वास्थ्य सेवाएं: ज़िंदगी की जंग

अनुमंडलीय अस्पताल की हालत यह है कि वहाँ जनरल फिजिशियन, महिला चिकित्सक और बाल रोग विशेषज्ञ तक नहीं हैं। आए दिन गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं की मृत्यु की खबरें ह्रदय विदारक हैं। आवश्यक दवाओं का अभाव और विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी हुसैनाबाद की बड़ी समस्याओं में से एक है।

सड़कें: गांवों तक पहुंच का संकट

ग्रामीण इलाकों तक जाने वाली सड़कों की हालत इतनी जर्जर है कि बरसात में आवागमन असंभव हो जाता है। यदि ग्रामीणों को मुख्यालय तक पहुंचना है तो उन्हें घंटों की दुश्वारियां झेलनी पड़ती हैं। सरकार को इन सड़कों के नवीनीकरण पर प्राथमिकता देनी चाहिए।

बिजली: कृषि क्षेत्र का आधार

यह क्षेत्र कृषि पर आश्रित है, लेकिन बिजली की स्थिति बेहद खराब है। आज भी कई गांवों में बिजली पर्याप्त मात्रा में नहीं पहुंच पाई है। इससे सिंचाई, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं भी प्रभावित होती हैं।

पानी: जीवन की सबसे अहम जरूरत

भारत सरकार की जल जीवन मिशन योजना का लाभ हुसैनाबाद के अधिकतर घरों को नहीं मिल पाया है। घर-घर नल से जल की योजना कागज़ों में है, जमीन पर नहीं। साथ ही, किसानों को सिंचाई के लिए सोन नदी से लिफ्ट इरिगेशन के ज़रिए बांधों तक जल आपूर्ति की योजना लंबित है, जिसे शीघ्र पूरा किया जाना चाहिए।

पर्यावरण: सुरक्षित भविष्य की नींव

हर साल 5 जून को ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ मनाना तभी सार्थक होगा जब इसे जमीनी स्तर पर अमल में लाया जाए। क्यों न इस वर्ष से जिले के हर ग्राम पंचायत में कम-से-कम 1100 पौधे लगाए जाएं और उन्हें संरक्षित किया जाए? यह केवल एक दिन का अभियान न होकर सतत प्रयास बनना चाहिए।

एक अपील

हुसैनाबाद की समस्याएं सिर्फ आंकड़े नहीं हैं, यह उन हज़ारों लोगों की ज़िंदगी की असल कहानी है जो आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। इस लेख के माध्यम से राज्य सरकार और प्रशासन से विनम्र आग्रह है कि इन क्षेत्रों को प्राथमिकता में लाकर योजनाओं का वास्तविक लाभ यहां तक पहुंचाया जाए।

और साथ ही, लेखिका यह भी अपेक्षा करती हैं कि की जा रही कार्रवाईयों की जानकारी उन्हें समय-समय पर प्रदान की जाए, ताकि आमजन तक भी यह संदेश पहुंचे कि सरकार उनकी आवाज़ सुन रही है।

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