पहले प्रेम फिर निकाह अब खतरे में जान हुसैनाबाद में प्रेम विवाह करने वाले जोड़े को मिला दर्दनाक इनाम First love then marriage. Now life is in danger The couple who had a love marriage in Hussainabad got a painful reward
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लड़के के पिता इकबाल हुसैन |
हुसैनाबाद, पलामू | 11 सितंबर 2025
एक ओर जहाँ देश में संविधान हर बालिग को अपनी मर्जी से जीवनसाथी चुनने का अधिकार देता है, वहीं दूसरी ओर समाज और सिस्टम मिलकर उस अधिकार का गला घोंटने में लगे हैं। ऐसा ही एक चौंकाने वाला मामला झारखंड के पलामू जिले के हुसैनाबाद से सामने आया है।
पूरा मामला:
माली टोला, हुसैनाबाद के निवासी इकबाल हुसैन के पुत्र कैफ हुसैन ने दिनांक 2 सितंबर 2025 को मेदिनीनगर के काज़ी साहब के समक्ष बालिग युवती सिमरन प्रवीण पिता बाबर अली से आपसी सहमति और पसंद से मुस्लिम रीति-रिवाज के अनुसार निकाह किया। दोनों ही बालिग हैं और उन्होंने कानून द्वारा प्रदत्त अधिकार के तहत यह विवाह किया।
लेकिन 9 सितंबर को हुसैनाबाद में इन दोनों को स्थानीय थाना में बुलाकर उनके वैवाहिक संबंधों की पूछताछ की गई। थाना ASI रमन यादव ने दिन भर थाना में बिठाए रखा शाम के पांच बजे,पूछताछ के बाद युवक को तो छोड़ दिया गया, लेकिन युवती सिमरन को उसकी मर्जी के खिलाफ जबरन उसके पिता बाबर अली के साथ भेज दिया गया। सिमरन पहले ही अपने पिता और भाई से खतरे की बात जाहिर कर चुकी थी।
ओनर किलिंग" का डर:
पीड़ित परिवार को आशंका है कि यह पूरा मामला तथाकथित ओनर किलिंग" की तरफ बढ़ सकता है, जहाँ एक महिला को उसकी मर्जी से शादी करने की सजा मिलती है — मौत। सबसे चिंताजनक बात यह है कि यह सब प्रशासन की मौजूदगी में हुआ।
70 वर्षीय महिला को भी थाने में बैठाया गया!
इस पूरे घटनाक्रम में एक और अमानवीय घटना यह हुई कि कैफ हुसैन की 70 वर्षीय दादी शैदा बीबी को भी थाना में घंटों बैठाकर मानसिक दबाव बनाया गया। एक वृद्ध महिला के साथ ऐसा व्यवहार पुलिस की संवेदनहीनता को दर्शाता है।
प्रशासन की भूमिका सवालों के घेरे में:
पीड़ित परिवार का आरोप है कि थाना में न केवल दबाव बनाया गया, बल्कि लड़का-लड़की को अलग रहने के लिए मजबूर किया गया — पूछ ताँछ के दौरान या अंतिम निर्णय सुनाने के दौरान लड़के के पिता माता को कोई सूचना नहीं दी गई । नहीं बुलाया गया। जो सीधे-सीधे उनके वैवाहिक और संवैधानिक अधिकारों का हनन है।
परिवार की गुहार:
इकबाल हुसैन ने अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी को पत्र लिखकर मांग की है कि:
सिमरन प्रवीण को पुलिस सुरक्षा में मुक्त कराकर सुरक्षित ससुराल भेजा जाए।
बाबर अली व परिवार पर कानूनी कार्रवाई हो।
थाने में हुए पक्षपातपूर्ण रवैये की जांच की जाए।
वृद्धा शैदा बीबी के साथ हुए पूर्व में दुर्व्यवहार पर जिम्मेदार पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई हो।
भविष्य में पति-पत्नी को किसी प्रकार की प्रताड़ना से सुरक्षा दी जाए।
निष्कर्ष:
यह मामला न केवल एक प्रेम विवाह को कुचलने की कोशिश है, बल्कि उस सोच और तंत्र की भी पोल खोलता है जो आज भी महिलाओं को अपनी मर्जी से जीवन जीने का अधिकार नहीं देता। सवाल यह है कि जब दोनों बालिग हैं और निकाह कानूनी रूप से वैध है, तो फिर प्रशासन और परिवार किस अधिकार से उन्हें अलग कर रहे हैं?
क्या सिमरन को मिलेगा न्याय?
क्या प्रशासन संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करेगा या सामाजिक दबाव में झुकेगा?
इस सवाल का जवाब आने वाले दिनों में सामने आएगा। लेकिन इतना तो साफ है कि शादी कर के कैफ और सिमरन प्रवीण दोनों अपना जीवन यापन कर रहे थे मगर प्रशासन ने उन्हें अलग करने में एक परिवार की ओर झुक गया जो आज नौबत अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी S M याकूब के पास पहुंच गया है।
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