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हैदरनगर समेत हुसैनाबाद क्षेत्र में योजनाओं की स्थिति चिंताजनक, समाज कल्याण योजनाओं में स्वास्थ्य विभाग की भूमिका पर उठे सवालThe state of the schemes in the Hussainabad area, including Haidernagar, is worrying; questions have been raised about the role of the health department in social welfare schemes.

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जावेद हुसैनाबाद वा अन्य


मेदिनीनगर (पलामू)

— विशेष संवाददाता 

पलामू /हुसैनाबाद , हैदरनगर, तरहसी एवं विश्रामपुर की सामाजिक कल्याण योजनाओं की जमीनी हकीकत एक बार फिर सवालों के घेरे में है। सोमवार को उप विकास आयुक्त जावेद हुसैन की अध्यक्षता में हुई समाज कल्याण विभाग की मासिक समीक्षात्मक बैठक ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए। सबसे बड़ा झटका तब लगा जब पोषण ट्रैकर के आंकड़ों में इन क्षेत्रों की प्रगति जिला में सबसे कम पाई गई।

वेतन पर लगी रोक, जिम्मेदारी तय करने की पहल

बैठक में साफ निर्देश दिया गया कि इन चारों परियोजनाओं की महिला पर्यवेक्षिकाओं की वेतन निकासी पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जाए। वहीं, पीएम मातृ वंदना योजना में भी हैदरनगर, हुसैनाबाद और तरहसी की स्थिति बेहद खराब पाई गई, जहां लंबित आवेदन और ड्यू लिस्ट की संख्या चिंताजनक है।

सवालों के घेरे में स्वास्थ्य विभाग की भूमिका

सूत्रों के अनुसार, इन योजनाओं की असफलता के पीछे केवल समाज कल्याण विभाग की कमजोरी नहीं, बल्कि स्वास्थ्य विभाग, खासकर बीपीएम (ब्लॉक प्रोग्राम मैनेजर) की भूमिका भी संदेह के घेरे में है।

हैदरनगर के कई आंगनबाड़ी केंद्रों में पोषण पखवाड़ा के तहत गतिविधियों का आयोजन या तो कागज़ों तक सीमित रहा या फिर पोषण ट्रैकर पर इसकी एंट्री ही नहीं की गई। जबकि साफ निर्देश था कि पोषण अभियान की सभी गतिविधियों को समय पर दर्ज किया जाए, ताकि राज्य स्तर की रैंकिंग में सुधार हो।

बीपीएम की निष्क्रियता या मिलीभगत?

स्थानीय नागरिकों और जनप्रतिनिधियों का कहना है कि ब्लॉक स्तर पर स्वास्थ्य विभाग और समाज कल्याण विभाग में तालमेल की कमी योजनाओं की सफलता में सबसे बड़ी बाधा बन रही है। बीपीएम की जिम्मेदारी होती है कि वह पोषण अभियान, मातृ वंदना योजना और अति कुपोषित बच्चों की पहचान एवं उनके पुनर्वास में सक्रिय भूमिका निभाए, लेकिन वास्तविकता इसके उलट है।

हैदरनगर की एक आंगनबाड़ी सेविका नाम न छापने की शर्त पर बताती हैं,

पोषण ट्रैकर की एंट्री से लेकर मातृ वंदना योजना की फॉलोअप तक में बीपीएम की भूमिका सिर्फ बैठक में उपस्थिति तक सीमित रहती है। जमीनी स्तर पर सहयोग न के बराबर मिलता है।

सिर्फ समीक्षा नहीं, जवाबदेही तय हो” – जनप्रतिनिधि

हुसैनाबाद क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों ने भी प्रशासन से मांग की है कि सिर्फ महिला पर्यवेक्षिकाओं पर कार्रवाई कर देना पर्याप्त नहीं होगा। जब तक ब्लॉक स्तर पर सभी जिम्मेदार अधिकारियों की सामूहिक जवाबदेही तय नहीं की जाएगी, तब तक योजनाएं कागज़ों से निकलकर जमीनी हकीकत नहीं बनेंगी।

आगे की राह

उप विकास आयुक्त ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि

सभी लंबित आवेदन 7 दिनों के भीतर निष्पादित किए जाएं।

कुपोषित lच्चों को समर कार्यक्रम से जोड़ा जाए।

महिला पर्यवेक्षिकाएं एवं बीपीएम अपने-अपने स्तर पर समन्वय बनाकर कार्य करें।

निष्कर्ष

पोषण और मातृत्व से जुड़ी योजनाएं केवल आंकड़ों के खेल नहीं हैं, यह ज़िंदगियों से जुड़ी संवेदनशील जिम्मेदारी है। अगर योजनाएं धरातल पर उतरती नहीं दिख रहीं, तो केवल निचले स्तर के कर्मचारियों को दोषी ठहराना नाइंसाफी होगी। हुसैनाबाद अनुमंडल की स्थिति एक चेतावनी है – अब भी समय है, सुधार कीजिए।

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