बरसात में अधूरे घरों में जिंदगी बसर कर रहे हैं लाभुक, वार्ड 07 के निवर्तमान पार्षद सुहेल आलम ने फिर उठाई पीएम आवास की लंबित किस्तों की आवाज hussainabad news rbc today
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हुसैनाबाद/पलामू
हुसैनाबाद नगर पंचायत के वार्ड संख्या-07 में प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के दर्जनों लाभुक बरसात के इस भीगते मौसम में अधूरे घरों में रहने को मजबूर हैं। वर्ष 2020 से 2023 तक चयनित इन लाभुकों को अब तक या तो पहली किस्त नहीं मिली है या फिर दूसरी व तीसरी किस्त के लिए वे कई महीनों से नगर पंचायत के चक्कर लगा रहे हैं।
इनमें महिलाएं, बुजुर्ग, गरीब व मजदूर वर्ग के लोग शामिल हैं, जो लगातार आवेदन देने और गुहार लगाने के बावजूद अब तक केवल आश्वासनों के सहारे जीने को विवश हैं।
पूर्व के आवेदन भी बेअसर, कोई ठोस कार्रवाई नहीं
वार्ड पार्षद सुहेल आलम ने बताया कि इस गंभीर समस्या को लेकर पूर्व में भी कई बार नगर पंचायत कार्यालय को आवेदन पत्र दिए गए। वर्ष 2022 में भी पत्रांक संख्या 42/22 के तहत मामले को उजागर किया गया था, परंतु उन आवेदनों पर अब तक कोई गंभीर विचार नहीं किया गया, जो बेहद चिंताजनक और दुर्भाग्यपूर्ण है।
उन्होंने कहा, जनता की परेशानी पर विचार न होना, और प्रशासन की उदासीनता अपने आप में हंसी का विषय नहीं, बल्कि जनसेवा की जिम्मेदारी से भागने का उदाहरण बनता जा रहा है।
बरसात में टपकती छतें, डर के साए में जीवन
अधूरे घरों और अधबनी छतों में पानी का रिसाव, दीवारों का कमजोर होना और बच्चों-बुजुर्गों की सुरक्षा एक बहुत बड़ी समस्या बन गई है। जैसे:
गोविंद राम और पुनीता देवी अपने बच्चों के साथ कच्ची दीवारों के सहारे दिन-रात काट रहे हैं।
साजो प्रवीन और जमीला खातून ने निर्माण आरंभ किया लेकिन दूसरी किस्त न मिलने से काम रुक गया।
रौशन अली, कुरैशा खातून जैसे लाभुक अब मकान छोड़कर किराये पर रहने को मजबूर हैं।
वार्ड पार्षद की दो टूक मांग:
सुहेल आलम ने नगर पंचायत कार्यपालक पदाधिकारी से स्पष्ट शब्दों में कहा है कि "या तो लाभुकों को समय पर सभी लंबित किस्तें दी जाएं, या फिर नगर प्रशासन यह माने कि वह गरीबों को छत देने के अपने वादे से पीछे हट चुका है।" उन्होंने कहा कि हर साल कागज़ों पर हजारों मकान पूरे दिखाए जाते हैं, लेकिन ज़मीन पर गरीब बारिश में भीग रहा है।
निष्कर्ष:
यह केवल राशि या योजना का मामला नहीं, यह गरीबों के सम्मान, जीवन और सुरक्षा का सवाल है। अगर सरकार की योजनाएं समय पर लागू नहीं होतीं, तो उनका लाभ सिर्फ कागज़ों पर ही सिमट कर रह जाता है। उम्मीद है कि प्रशासन इस बार लाभुकों की पुकार को हंसी में नहीं, संवेदना में लेगा।
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