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हुसैनाबाद अंचल कार्यालय बना परेशानी का केंद्र आवेदक बेहाल नापी के लिए लग रहे दर्जनों चक्करHussainabad Zonal Office has become a center of trouble, applicants are in distress and have to make dozens of rounds for measurement

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हुसैनाबाद अंचल कार्यालय के समक्ष संतोष पासवान 

हुसैनाबाद, पलामू | रिपोर्ट: Newsrbc .in 

हुसैनाबाद अंचल कार्यालय इन दिनों आम लोगों की समस्याओं का अड्डा बनता जा रहा है। विशेषकर भूमि नवीकरण और नापी से जुड़ी प्रक्रियाओं को लेकर ग्रामीण इलाकों से आने वाले नागरिकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

ग्रामीणों की मानें तो कार्यालय में न तो समय पर कर्मचारी मिलते हैं और न ही किसी काम की स्पष्ट प्रक्रिया। आए दिन कभी साहब के न होने का हवाला दिया जाता है, तो कभी कंप्यूटर साइट बंद होने का बहाना। इससे परेशान होकर लोगों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।

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सरयू मेहता के पुत्र 

सरयू मेहता की आपबीती

पचमो निवासी सरयू मेहता ने बताया,

मैंने ₹1331 की नापी शुल्क ऑनलाइन जमा कर दी है। लगभग 10 से 15 बार, 8 किलोमीटर दूर से अंचल कार्यालय आ चुका हूं लेकिन अभी तक नापी की कोई तिथि नहीं मिली। हमारे पिता के चार भाइयों के बीच 26 डिसमिल भूमि है, लेकिन मेरे एक चाचा ने 16 डिसमिल भूमि बेच दी। अब वे जबरन नापी के लिए प्राइवेट अमीन से दबाव बना रहे हैं जबकि हमने सरकारी अमीन से नापी के लिए आवेदन दिया है। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही।

संतोष पासवान की पीड़ा

एक अन्य आवेदक संतोष पासवान ने कहा,

हम भी 8 किलोमीटर दूर से आते हैं, लेकिन हर दिन कोई न कोई बहाना सुनने को मिलता है। कभी साहब नहीं होते, कभी कंप्यूटर नहीं चलता, कभी कहा जाता है अमीन से मिलिए, तभी आगे बात होगी।”

लोगों में गुस्सा, दलाली का आरोप

कई ग्रामीणों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि काम करवाने के लिए प्रत्येक टेबल पर पैसे देने की बात कही जाती है। ₹500 तक की डिमांड की जाती है केवल नापी की तिथि तय कराने के लिए।

लोगों का कहना है कि

जितना सरकारी शुल्क है, उससे कई गुना ज्यादा दलालों के माध्यम से वसूली की जा रही है। आम जनता को बेवजह दौड़ाया जा रहा है।

राजनीतिक तुलना में भी आई अंचल की कार्यप्रणाली

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पूर्व विधायक शिवपूजन मेहता फाइल फोटो 

कुछ लोगों ने यह भी कहा कि

पूर्व विधायक कुशवाहा शिवपूजन मेहता के कार्यकाल में इतनी अव्यवस्था नहीं थी। अगर कोई शिकायत लेकर उनके पास जाता था तो वे तुरंत संबंधित पदाधिकारी को फोन करके कार्रवाई करवाते थे। आज की स्थिति में न तो कोई सुनवाई है और न ही कोई जवाबदेही।

मनमानी कंप्यूटर ऑपरेटर और अमीन की

आवेदकों ने बताया कि कंप्यूटर ऑपरेटर मनमाने तरीके से व्यवहार करते हैं। कभी कहते हैं कि वेबसाइट काम नहीं कर रही, कभी कहते हैं साहब से ऑर्डर लेकर आइए। अमीन से मिलने के लिए कहा जाता है और फिर पैसे की मांग की जाती है।

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रामस्वरूप पासवान वृद्ध 

वृद्ध रामस्वरूप पासवान की पीड़ा 

हद तो ये भी हो गई कि एक 99 वें वर्षीय वृद्ध व्यक्ति रामस्वरूप पासवान ने कहा कि आज दो महीना से लाठी के सहारे अंचल का चक्कर लगाने को हम मजबूर है , सात हज़ार रुपए खर्च कर चुके है और नतीजा डांट फटकार हुसैनाबाद सीओ के द्वारा अपमान सहना पड़ रहा है।

निष्कर्ष

हुसैनाबाद अंचल कार्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार और कार्य में लापरवाही ने आम जनता को त्रस्त कर दिया है। सवाल यह उठता है कि जब एक सामान्य प्रक्रिया के लिए लोगों को दर्जनों बार कार्यालय के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं, तो शासन प्रशासन का दावा “ई-गवर्नेंस” का आखिर क्या मतलब है?

जरूरत है तत्काल सुधार की।

स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को इस स्थिति की गंभीरता को समझते हुए तत्काल हस्तक्षेप करना चाहिए ताकि आम जनता को राहत मिल सके।

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