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99 वर्षीय वृद्ध रामस्वरूप पासवान के साथ अमानवीय व्यवहार Co पर लतियाने का आरोप Inhuman treatment with 99-year-old Ram Swaroop Paswan, Co accused of kicking him


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हुसैनाबाद न्यूज़ 

हुसैनाबाद (पलामू):

हुसैनाबाद अंचल कार्यालय इन दिनों विवादों और आलोचनाओं के घेरे में है। एक बार फिर यह कार्यालय सुर्खियों में तब आया जब 99 वर्षीय वृद्ध रामस्वरूप पासवान के साथ कार्यालय ऑफिस में अंचलाधिकारी (CO) पंकज कुमार द्वारा कथित रूप से लात मारकर भगा देने का आरोप सामने आया। इस घटना ने न केवल प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि व्यवस्था की संवेदनहीनता को भी उजागर कर दिया है। 


CO ने कहा — लात उठाते भागो यहां से", वृद्ध की पीड़ा सुन सब रह गए स्तब्ध

ग्रामीण नदियाईन टोला, बरवाडी निवासी रामस्वरूप पासवान ने पत्रकारों से बात करते  हुए बताया,

आज मैं आवेदन लेकर अंचलाधिकारी पंकज कुमार के पास गया था, उन्होंने डांटा और ‘भागो’ कहकर लतिया दिया। इतने अपमान की कभी कल्पना नहीं की थी।

वृद्ध ने यह भी बताया कि अब तक वह अपनी जमीन की मापी के लिए ₹7000 खर्च कर चुके हैं, लेकिन कार्यालय के चक्कर काटने के अलावा उन्हें कुछ नहीं मिला।

इस संदर्भ में घटना की अधिक जानकारी लेने जब पत्रकार कार्यालय पहुंचे तो वो ऑफिस में नहीं थे उपस्थित गार्ड ने बताया कि थोड़ी देर पहले निकले हैं ।

कभी कर्मचारियों की सेवा करते थे रामस्वरूप, आज खुद अपमान का शिकार

जानकार लोगों के अनुसार, रामस्वरूप पासवान ने अपने जीवन के कई वर्ष इसी अंचल कार्यालय में कर्मचारियों और सीआई की सेवा में बिताए। वे कभी सत्तू, कभी पानी या भोजन पहुंचाते थे। बदले में कुछ पैसे मिलते थे, जिससे उनका जीवनयापन होता था।

आज वही रामस्वरूप, चलने के लिए लाठी का सहारा लेकर, ऑटो और पैदल हुसैनाबाद कार्यालय पहुंचते हैं — और अपमानित होकर लौटते हैं।

मृत घोषित’ कर बंद की गई थी वृद्धा पेंशन, फिर खुद को जीवित साबित कर लड़े थे लंबी लड़ाई

यह पहली बार नहीं जब रामस्वरूप को प्रशासनिक लापरवाही झेलनी पड़ी हो। कुछ साल पहले उन्हें सरकारी अभिलेखों में ‘मृत’ घोषित कर उनकी वृद्धा पेंशन बंद कर दी गई थी।

जब उन्हें इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने अधिकारियों को साक्ष्य और बायोमैट्रिक के जरिए साबित किया कि वह जीवित हैं। लंबी लड़ाई के बाद पेंशन बहाल हुई।

क्या संवैधानिक अधिकारों की यह अवहेलना नहीं?

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 14 सभी नागरिकों को समानता का अधिकार देता है। वहीं अनुच्छेद 21 के तहत प्रत्येक व्यक्ति को गरिमामय जीवन का अधिकार है। ऐसे में 99 वर्षीय वृद्ध को अपमानित करना संविधान और मानवाधिकार दोनों का उल्लंघन है।

झारखंड सरकारी सेवक आचरण नियमावली के अनुसार भी कोई भी अधिकारी जनता के साथ अशोभनीय और अमर्यादित व्यवहार नहीं कर सकता।


जनप्रतिनिधि कहां हैं? क्या व्यवस्था यूं ही बेलगाम रहेगी?

स्थानीय लोगों में रोष है कि वर्तमान विधायक संजय कुमार यादव के कार्यकाल में हुसैनाबाद अंचल कार्यालय की स्थिति बेलगाम हो चुकी है।

कई लोग कहते हैं कि कंप्यूटर ऑपरेटर, सीआई से लेकर अंचलाधिकारी तक जनता की समस्याएं सुनने को तैयार नहीं हैं।

पूर्व विधायक कमलेश कुमार के समय चलती थी ‘जनसुनवाई कक्षा’

स्थानीय नागरिकों ने याद किया कि पूर्व विधायक कमलेश कुमार के समय कार्यालय में जनसुनवाई कक्ष जैसी व्यवस्था हुआ करती थी, जहाँ आम लोग खुलकर अपनी समस्याएं रखते थे और त्वरित समाधान होता था।

आज ऐसी कोई व्यवस्था नहीं, और जनता सिर्फ चक्कर काटने, अपमान झेलने और निराश लौटने को मजबूर है।

उच्च अधिकारियों से अपेक्षा — इस अमानवीयता पर त्वरित संज्ञान लें

यह मामला सिर्फ रामस्वरूप पासवान का नहीं, बल्कि हर उस नागरिक का है जो न्याय की उम्मीद लेकर कार्यालय जाता है।

क्या 99 वर्ष की उम्र में भी किसी नागरिक को अपमान सहना चाहिए?

क्या जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी नहीं कि वे जनता के सम्मान की रक्षा करें?

समाप्ति से पहले — एक प्रश्न जो व्यवस्था से पूछा जाना चाहिए

क्या प्रशासन का यह रूप उस ‘जनसेवा’ की आत्मा के अनुरूप है जिसकी बात संविधान करता है?


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