हुसैनाबाद में मुस्लिम महिला को न्याय से वंचित किया गया तीन महीने से नकल के लिए भटक रही पीड़िता, अंचलाधिकारी पंकज कुमार पर गंभीर आरोप
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हुसैनाबाद अंचल कार्यालय खड़ी महिला |
हुसैनाबाद, पलामू (झारखंड):
हुसैनाबाद अंचल कार्यालय में एक मुस्लिम महिला को न्याय से वंचित कर उसका प्रशासनिक और सार्वजनिक रूप से अपमान करने का गंभीर मामला सामने आया है। यह घटना न केवल एक संवेदनशील महिला के मौलिक अधिकारों का हनन है, बल्कि पूरे सरकारी तंत्र की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर प्रश्न खड़े करता है।
तीन महीने से “नकल” के लिए लगाती रही अर्जी, लेकिन सुनवाई नहीं
दिनांक 21 अप्रैल 2025 को एक भूमि विवाद हुसैनाबाद नगर पंचायत के वार्ड दो के निवासी को नोटिस संबंधित पक्षों को अंचल कार्यालय द्वारा नोटिस भेजा गया था। इससे पूर्व पत्रांक 69/दिनांक 22/3/2025 की दोनों पक्षों से लिखित जमीन से संबंधित दस्तावेज मांगे गए थे/दोनों पक्षों की उपस्थिति में सुनवाई और स्थल निरीक्षण भी हुआ।
इसके बाद नियमानुसार पीड़ित महिला ने उस सुनवाई की नकल (ऑफिशियल कॉपी) प्राप्त करने के लिए अर्जी दी। लेकिन आज तीन महीने हो चुके हैं, न तो नकल दी गई और न ही कोई स्पष्ट उत्तर मिला।
जब पत्रकार ने सवाल उठाया तो अधिकारी ने खुद को गाड़ी में बंद कर लिया
इस अन्याय पर जब एक पत्रकार ने सवाल पूछने का प्रयास किया, तो अंचलाधिकारी पंकज कुमार ने संवाद करने से इनकार करते हुए खुद को गाड़ी में बंद कर लिया।
पीड़िता की बातों को अनसुना कर दिया गया और पत्रकार को यह कहा गया कि:
RTI से मांगिए, तभी जवाब मिलेगा।
पीड़िता मुस्लिम महिला का बयान:
मैंने नियमानुसार आवेदन किया, हर प्रक्रिया पूरी की। लेकिन मुझे तीन महीने से टालते जा रहे हैं। क्या मेरी आवाज़ इसलिए दबाई जा रही है क्योंकि मैं एक मुस्लिम महिला हूं?
नकल न देना — कानूनी उल्लंघन क्यों है?
कानून क्या कहता है उल्लंघन
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 (RTI Act) मांगी गई जानकारी 30 दिन के अंदर देना अनिवार्य 90+ दिन बीतने के बाद भी कोई जानकारी नहीं
भारतीय दंड संहिता, धारा 166 सरकारी कर्तव्यों की जानबूझकर अनदेखी करना अपराध है अधिकारी की निष्क्रियता
भारत का संविधान - अनुच्छेद 14 सबके लिए समान कानून और न्याय महिला के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार
एक नहीं, कई घटनाएं — CO पंकज कुमार लगातार विवादों में
1. 99 वर्षीय रामस्वरूप पासवान को लात मारकर भगाना
एक माह पूर्व 99 वर्षीय बुजुर्ग रामस्वरूप पासवान को CO कार्यालय में लात मारकर भगाने का मामला सामने आया।
इस पर राज्य मंत्री दीपक बेरुआ ने संज्ञान लिया।
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मंत्री दीपक बेरुआ ने ट्विट किया |
https://x.com/deepakbiruajmm/status/1935665837907796029?t=-KCqxxzpU2TLkcWwx01eRQ&s=19
लेकिन CO ने जवाब में कहा कि बुजुर्ग मानसिक रूप से विक्षुब्ध थे, और मामले को रफा-दफा कर दिया।
क्या यह एक बुजुर्ग के साथ अमानवीय व्यवहार को जायज ठहराता है?
2. शिक्षक के साथ मारपीट (31 मई 2025)
CO ने शिक्षक रविंद्र कुमार के साथ बेल बिगहा में गला दबाकर मारपीट की।
SDO गौरांग महतो ने जांच कमिटी गठित की थी।
लेकिन जांच ठंडे बस्ते में डाल दी गई।
CO ने न कोई उत्तर दिया, न ही कोई खेद व्यक्त किया।
स्थानीय विधायक संजय यादव की चुप्पी — क्या यह नैतिक जिम्मेदारी का त्याग है?
हुसैनाबाद के विधायक संजय यादव, जिनके आवास से मात्र 200 मीटर दूरी पर यह कार्यालय है, पूरी घटना पर मौन साधे हुए हैं।
मुस्लिम समुदाय और अन्य वर्गों ने मिलकर जिन्हें ऐतिहासिक जीत दिलाई, उन्हीं के निर्वाचन क्षेत्र में अब एक मुस्लिम महिला न्याय के लिए दर-दर भटक रही है।
जनता की मांग और सवाल:
क्या तीन महीने तक एक साधारण “नकल” के लिए दौड़ाना प्रशासनिक लापरवाही नहीं है?
क्या एक मुस्लिम महिला को ऐसे टालना धार्मिक और लैंगिक भेदभाव नहीं है?
क्या विधायक संजय यादव और उपायुक्त इस पूरे मामले पर कोई कार्रवाई करेंगे?
जनता की मांग:
CO पंकज कुमार को तत्काल निलंबित किया जाए।
पीड़ित महिला को तत्काल नकल और न्याय प्रदान किया जाए।
पूरे अंचल कार्यालय की कार्यप्रणाली की स्वतंत्र जांच हो।
पूर्व विवादित घटनाओं को दोबारा खोला जाए।
यह केवल दस्तावेज़ की नकल का मामला नहीं है, यह “लोकतांत्रिक अधिकारों की नकल” का मामला है।
जब एक साधारण नागरिक, वह भी महिला, और वह भी अल्पसंख्यक समुदाय से, न्याय की बुनियादी प्रक्रिया से वंचित की जाती है — तब यह मामला सिर्फ प्रशासनिक विफलता नहीं, बल्कि संविधान की आत्मा पर हमला बन जाता है।
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