अरण्य वाणी अगस्त अंक का लोकार्पण हरियाली में गूंज उठी साहित्यिक चेतना की वाणीLaunch of Aranya Vani August issue The voice of literary consciousness echoed in the greenery
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पलामू न्यूज |
रिपोर्ट: मेदिनीनगर, झारखंड
झारखंड की साहित्यिक चेतना का एक सशक्त मंच बन चुकी मासिक पत्रिका ‘अरण्य वाणी’ के अगस्त 2025 अंक का विमोचन मेदिनीनगर स्थित ग्रीन वैली इंटरनेशनल स्कूल के हरियाली से भरपूर परिसर में एक गरिमामय समारोह के तहत संपन्न हुआ।
इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और शिक्षाविद पंडित प्रदीप नारायण ने कहा
अरण्य वाणी केवल शब्दों की साज-सज्जा नहीं, बल्कि एक विचारशील आंदोलन है जो समाज में सकारात्मक चेतना और संवेदनशील दृष्टिकोण का निर्माण कर रहा है।
पत्रिका के संपादक विनोद सागर ने अपने वक्तव्य में कहा
हमारा उद्देश्य सिर्फ़ लेखन नहीं, झारखंड के कोनों से आवाज़ उठाकर उसे राष्ट्रीय विमर्श से जोड़ना है। पाठकों और सुधी समाज की भागीदारी ही हमारी ऊर्जा है।”
प्रमुख वक्ता:
अश्विनी घई (कार्यकारी संपादक, झारखंड प्रहरी): यह पत्रिका ग्रामीण संवेदनाओं की सजीव प्रस्तुति है।
मनोज कुमार प्रजापति (स्थानीय संपादक, बदलता झारखंड): "‘अरण्य वाणी’ जनपक्षधर विचारों की सशक्त प्रतिनिधि है।"
शाकिर अली (युवा समाजसेवी, हुसैनाबाद): युवा ऊर्जा जब साहित्य से मिलती है, तब परिवर्तन की बुनियाद बनती है — और अरण्य वाणी उसी दिशा में अग्रसर है।
कार्यक्रम में विद्यार्थियों, शिक्षकों, पत्रकारों और साहित्यप्रेमियों की उपस्थिति ने आयोजन को जीवंत बना दिया।
अरण्य वाणी’ अब केवल एक साहित्यिक मंच नहीं, झारखंड की जनचेतना की आवाज़ बन चुकी है।
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