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किसानों को निर्धारित मूल्य पर खाद उपलब्ध कराए सरकार: पलामू में खाद की किल्लत पर गरजे कमलेश कुमार सिंहGovernment should provide fertilizers to farmers at the prescribed price: Kamlesh Kumar Singh roared over the shortage of fertilizers in Palamu

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BJP नेता कमलेश कुमार सिंह 

हुसैनाबाद (पलामू):

पलामू जिले के किसानों के सामने इस बार एक नई चुनौती खड़ी हो गई है। हैदरनगर, हरिहरगंज, पिपरा और मोहम्मदगंज समेत जिले के विभिन्न प्रखंडों के किसानों को ऊंचे दाम पर यूरिया और डीएपी खाद खरीदनी पड़ रही है, जिससे उनमें भारी आक्रोश है। सरकार की ओर से निर्धारित मूल्य पर खाद उपलब्ध न होने के चलते किसानों को आर्थिक रूप से नुकसान उठाना पड़ रहा है।

पूर्व मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता कमलेश कुमार सिंह ने सरकार को घेरते हुए कहा कि किसानों को निर्धारित मूल्य पर यूरिया और डीएपी खाद उपलब्ध कराना सरकार की जवाबदेही है, जिसमें वह पूरी तरह विफल साबित हो रही है। nbsp;

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मायरा न्यूरो क्लिनिक

  उन्होंने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि इस वर्ष पलामू में अच्छी बारिश हुई है और बड़े पैमाने पर धान की खेती हुई है। किसानों ने मेहनत से फसल तैयार की है, लेकिन सरकार की भ्रष्ट नीतियों और खाद वितरण में अनियमितता के चलते उन्हें उचित मूल्य पर उर्वरक नहीं मिल पा रहा है।

खाद के लिए मचा हाहाकार, प्रशासन बना मूकदर्शक

कमलेश कुमार सिंह ने आरोप लगाया कि अधिकारियों और कालाबाजारियों की मिलीभगत से खाद की गुप्त रूप से ऊंचे दामों पर बिक्री हो रही है, जबकि सरकार इस पर चुप्पी साधे बैठी है। इससे किसानों में असंतोष और बेचैनी बढ़ती जा रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के लिए यह स्थिति शर्मनाक है कि किसान उर्वरक के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं।

पड़ोसी राज्य बिहार से की तुलना, झारखंड सरकार पर उठाए सवाल

भाजपा नेता ने कहा कि बिहार राज्य में किसानों को सरकार की ओर से आसानी से खाद मिल रही है, जबकि झारखंड के किसान खुलेआम लूटे जा रहे हैं। पलामू जिले में यूरिया की कीमत 500 रुपये और डीएपी की कीमत 2000 रुपये तक वसूली जा रही है, जो कि निर्धारित मूल्य से कहीं अधिक है।

कालाबाजारी करने वालों पर कार्रवाई की मांग

कमलेश सिंह ने पलामू के उपायुक्त (DC) से मांग की है कि खाद की कालाबाजारी में संलिप्त व्यापारियों और उनसे मिलीभगत करने वाले अधिकारियों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि प्रशासन को जल्द हस्तक्षेप कर स्थिति को नियंत्रित करना चाहिए, नहीं तो यह मुद्दा व्यापक आंदोलन का रूप ले सकता है।

खाद विक्रेताओं की समस्याओं को भी समझे सरकार

उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को खाद विक्रेताओं से संवाद कर उनकी समस्याओं को भी समझना चाहिए। यदि उनकी परेशानियों का समाधान हो, तो वे भी निश्चिंत होकर निर्धारित मूल्य पर खाद की आपूर्ति कर सकेंगे।

सरकार की चुप्पी किसान विरोधी रवैये को उजागर करती है

अंत में उन्होंने कहा कि खाद जैसी मूलभूत कृषि सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित करना सरकार का कर्तव्य है। सरकार की यह चुप्पी और निष्क्रियता उसके किसान विरोधी रवैये को दर्शाती है। समय रहते यदि उचित कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले समय में झारखंड के कृषि क्षेत्र को भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है।

 निष्कर्ष:

झारखंड के किसानों की यह समस्या केवल खाद की नहीं, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही और सरकारी उदासीनता की भी कहानी है। जब तक सरकार तय मूल्य पर खाद की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित नहीं करती, तब तक किसानों को न तो राहत मिलेगी, और न ही उनकी मेहनत रंग ला पाएगी। 

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