शहीदों के परिवार को मिला संबल: झारखंड सरकार ने किया 2.10 करोड़ मुआवज़े का ऐलान Martyrs families get support: Jharkhand government announces Rs 2.10 crore compensation
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| मंत्री राधा कृष्ण किशोर व शहिद परिजनों के साथ |
रांची, Newsrbc.in डेस्क:
झारखंड के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने आज शहीद संतन मेहता और सुनील राम के परिजनों से मुलाकात की और उन्हें ढांढस बंधाया। यह मुलाकात न केवल भावनात्मक रही, बल्कि राज्य सरकार की संवेदनशीलता और कृतज्ञता का प्रमाण भी बनी। शहीदों के परिवारों के आंसुओं में जहां अपार दुःख झलक रहा था, वहीं उनकी आँखों में अपार गर्व भी साफ झलकता रहा।
राज्य सरकार का बड़ा ऐलान: 2.10 करोड़ रुपये का मुआवज़ा, स्थायी सुविधाएँ
वित्त मंत्री ने इस मौके पर यह घोषणा की कि झारखंड सरकार शहीदों के परिवारों को 2.10 करोड़ रुपये का मुआवज़ा प्रदान करेगी। इसके अलावा:
आवास निर्माण की सुविधा
परिवार के सदस्य को सरकारी नौकरी
शहीदों की स्मृति में सड़क निर्माण
बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की विशेष देखभाल
भी सुनिश्चित की जाएगी।
मंत्री किशोर ने कहा:
शहीदों का बलिदान राज्य और देश के लिए अमूल्य है। सरकार हर परिस्थिति में उनके परिवारों के साथ खड़ी है और खड़ी रहेगी।
केदल गांव की मुठभेड़: बलिदान की पृष्ठभूमि
गौरतलब है कि यह मुआवज़ा और सहानुभूति उस नक्सली मुठभेड़ की पृष्ठभूमि में सामने आई है जो 3 सितम्बर को केदल गांव में हुई थी।
इस मुठभेड़ में झारखंड पुलिस के संयुक्त ऑपरेशन के दौरान नक्सली कमांडर शशिकांत गंझू को गुप्त सूचना पर पकड़ने की मुहिम थी।
इस मुहिम में मुठभेड़ में शहीद संतन मेहता और सुनील राम ने वीरता से लड़ते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी।
यह घटना न केवल राज्य में सुरक्षा बलों की कर्तव्यनिष्ठा का प्रतीक बनी, बल्कि नक्सलवाद के खिलाफ चल रही लड़ाई में एक अहम मोड़ भी साबित हुई।
भावुक क्षण और परिवारों का संबल
शहीदों की पत्नी, माँ और बच्चों से मुलाक़ात के दौरान माहौल अत्यंत भावुक हो गया। वित्त मंत्री स्वयं भावुक हो उठे जब शहीद सुनील राम के बेटे ने कहा:
पापा तो चले गए, लेकिन अब हमें उनके जैसे ही बनना है।
सरकार की ओर से यह आश्वासन दिया गया कि बच्चों की शिक्षा, परिवार की सुरक्षा और सम्मानजनक जीवन की हर संभव व्यवस्था की जाएगी।
सरकार का संकल्प: आप अकेले नहीं हैं
राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह सहायता केवल आर्थिक नहीं है, बल्कि एक स्थायी समर्थन और सम्मान का प्रतीक है। शहीदों के नाम पर बनने वाली सड़कें, उनके नाम से चलने वाले कार्यक्रम, और परिवार की लगातार सहायता — यह सब यह दर्शाते हैं कि राज्य अपने वीर सपूतों को कभी नहीं भूलेगा।
निष्कर्ष:
झारखंड सरकार का यह कदम केवल संवेदनशीलता का उदाहरण नहीं, बल्कि शहीदों के बलिदान के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है। केदल गांव की नक्सली मुठभेड़ में जिन वीर जवानों ने देश की सुरक्षा के लिए जान दी, उनके परिवारों को दिया गया यह सहयोग एक सार्थक और प्रेरणादायक पहल है।

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