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हुसैनाबाद अनुमंडलीय अस्पताल में महिला चिकित्सक नदारद: 3.5 लाख की आबादी बेहाल, झोलाछाप की भेंट चढ़ती महिलाएFemale doctor missing in Hussainabad sub-divisional hospital, population of 3.5 lakh in distress, women falling prey to quacks

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सांकेतिक फाइल फोटो 


✍️ ब्लॉगर रिपोर्ट | शेख मुजाहिद हुसैनाबादी,हुसैनाबाद (पलामू), झारखंड

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स्त्री रोग विशेषज्ञ की भारी कमी से जनजीवन संकट में, महिलाओं की जान जोखिम में

हुसैनाबाद अनुमंडलीय अस्पताल, जो पूरे क्षेत्र के लिए एकमात्र रेफरल चिकित्सा केंद्र है, वहां महिला चिकित्सक (गाइनकोलॉजिस्ट) की अनुपस्थिति एक गंभीर स्वास्थ्य संकट बन चुकी है। हर दिन यहां दर्जनों महिलाएं अपनी स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान के लिए आती हैं, लेकिन विशेषज्ञ चिकित्सक न होने के कारण उन्हें रेफर या उपेक्षित कर दिया जाता है।कुछ महिलाए इसी कमी के बीच बच्चों को जन्म देने में भगवान भरोसे सफल भी हो जाती हैं। जैसे कल ही शुक्रवार को एक महिला ने दो जुड़वा बच्चों को जन्म दिया एक लड़का और एक लड़की, इस उपलब्धि पर प्रभारी और प्रबंधन खुशियां मना रहा। मगर सबसे बड़ा सवाल ये की क्या इस व्यवस्था में सुधार नहीं होनी चाहिए? आइए जानते है ।

चौंकाने वाले आंकड़े – महिलाओं की सेहत के साथ हो रहा खिलवाड़

हुसैनाबाद अनुमंडलीय अस्पताल में प्रति दिन औसतन 5-6 प्रसव की स्थिति होती है, लेकिन बिना विशेषज्ञ के ये कार्य केवल ANM और नर्सिंग स्टाफ के भरोसे किया जा रहा है।

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शेख़ मुजाहिद हुसैनाबादी 

प्रत्येक माह दर्जनों महिलाएं गंभीर हालत में रेफर कर दी जाती हैं क्योंकि अस्पताल में महिला डॉक्टर नहीं है।

हैदरनगर CHC में हर महीने 70-80 प्रसव होते हैं, जबकि वहां भी सीमित संसाधनों के बीच काम चल रहा है।

रेफरल के बाद महिलाओं को डाल्टनगंज या डेहरी ऑन सोन, सासाराम जैसे शहरों के निजी अस्पतालों में जाना पड़ता है, जो 70 से 80 किलोमीटर दूर हैं।

सिर्फ हुसैनाबाद अनुमंडल में करीब 3.5 लाख की आबादी निर्भर है, फिर भी यहां महिला स्वास्थ्य सेवा का यह हाल है।

ताड़ से गिरा खजूर में अटका – महिलाओं की दुर्दशा

गंभीर स्थिति में जब महिलाओं को हैदरनगर से हुसैनाबाद भेजा जाता है, तो वहां महिला डॉक्टर की अनुपलब्धता उन्हें और संकट में डाल देती है। रेफर करने के बाद, ग्रामीण परिवहन साधनों के अभाव में उन्हें घंटों तक एंबुलेंस या वाहन का इंतजार करना पड़ता है, जिससे कई बार जच्चा-बच्चा की जान जोखिम में पड़ जाती है। हालही में 6 सितम्बर की घटना जब अनुमंडलीय अस्पताल से हुसैनाबाद की मुस्लिम महिला को रेफर किया गया तो उसकी बच्चेदानी निकालनी पड़ी, बच्चा भी काल के गाल में समा गया,गंभीर स्थिति को देखते हुए ।

स्थानीय समाजसेवियों और जनता की मांगें

महिला स्वास्थ्य सेवाओं को प्राथमिकता दी जाए।

हुसैनाबाद अनुमंडलीय अस्पताल में महिला चिकित्सक की तत्काल नियुक्ति हो।

झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ अभियान चलाकर कार्रवाई की जाए, जिला के निर्देश की अनदेखी कर रहे प्रभारी:


इसी महीना झोला छाप क्लिनिक डॉक्टर संजय यादव के द्वारा एक दलित महिला को प्रसव कराने के चक्कर में युवा 25 वर्षीय महिला चोआ चट्टान निवासी काल के गाल में समा गई, खबर प्रकाशित होने के बाद भी प्रभारी चिकित्सक वा प्रशासन का मौन साधना अपने आप में बड़ा सवाल खड़ा करता है। न हुसैनाबाद CO ने शुद्ध ली न थाना प्रभारी न प्रभारी ने।

जनप्रतिनिधि दिशा (DISHA) बैठक में इस मुद्दे को प्राथमिकता से उठाएं।

हैदरनगर CHC को अपग्रेड कर रेफरल सुविधा मजबूत की जाए।

प्रशासन और जनप्रतिनिधि अब भी मौन!

स्थानीय विधायक श्री संजय कुमार यादव और स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारियों ने अब तक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकाला है। लोगों का कहना है कि यह विषय हर महिला के जीवन और स्वास्थ्य से जुड़ा है, लेकिन इसे अब तक नजरअंदाज किया गया।

 क्या कहता है कानून?

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार) और राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (NRHM) स्पष्ट रूप से कहते हैं कि प्रत्येक अनुमंडलीय अस्पताल में महिला चिकित्सक की नियुक्ति आवश्यक है। ऐसे में हुसैनाबाद अस्पताल में महिला डॉक्टर का न होना एक नीति और संवैधानिक उल्लंघन है।

अब समय है कार्रवाई का, चुप्पी नहीं!

हुसैनाबाद अनुमंडल की महिलाएं अब सिर्फ इलाज नहीं, बल्कि अपने अधिकारों के लिए लड़ रही हैं। यह स्वास्थ्य नहीं, न्याय का मामला है। क्या अब भी हम चुप रहेंगे?

अगर आप इस समस्या से जुड़े हैं या बदलाव की मांग करते हैं, तो इस लेख को शेयर करें, आवाज़ बनें!

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