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हुसैनाबाद में शराब माफिया पर पुलिस की कड़ी कार्रवाई, वहीं पत्रकार सम्मान समारोह पर उठे विधिक व नैतिक सवाल Police crack down on the liquor mafia in Hussainabad, while legal and ethical questions are raised at the journalist felicitation ceremony.


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हुसैनाबाद न्यूज़

हुसैनाबाद, पलामू:

एक ओर हुसैनाबाद पुलिस ने शनिवार की रात अवैध अंग्रेजी शराब तस्करी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए पांच तस्करों को गिरफ्तार कर बड़ी मात्रा में शराब जब्त किया, इस बात की जानकारी अनुमंडलीय पुलिस पदाधिकारी एस मोहम्मद याकूब प्रेस वार्ता कर दी।

वहीं दूसरी ओर हुसैनाबाद अनुमंडलीय अस्पताल में हाल ही में कुछ दिन पूर्व हुए पत्रकारों के सम्मान समारोह को लेकर प्रभारी चिकित्सक डॉक्टर एस के रवि और अस्पताल प्रबंधक की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।

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पत्रकार सम्मान समारोह की छवि

लोग खबरों को सोशल मीडिया पर भेजते हुए कई सवाल खड़े करते नजर आ रहे है।

शराब माफियाओं पर सटीक वार – पुलिस की सराहनीय कार्रवाई

शनिवार की रात हुसैनाबाद पुलिस ने एक गुप्त सूचना के आधार पर पायल मैरेज हॉल में छापा मारते हुए 314 बोतल (कुल 235.5 लीटर) अवैध अंग्रेजी शराब बरामद किया। पुलिस ने मौके से हरियाणा से लाई गई शराब के साथ दो वाहन, सात मोबाइल और अतिरिक्त नंबर प्लेट भी जब्त किया है।

गिरफ्तार किए गए पांच तस्करों  में – रघुवीर कुमार, शुभम चौबे, निर्मल कुमार भारती, शिवम उर्फ मेंटल और आशीष पाल – के खिलाफ पूर्व में भी हत्या, आर्म्स एक्ट और शराब तस्करी के मामले दर्ज हैं। पूछताछ में इन तस्करों ने खुलासा किया कि वे हरियाणा के फरीदाबाद से शराब लाकर पटना के बिड्छु सिंह उर्फ अजय कुमार को सप्लाई करते थे।

हुसैनाबाद थाना में कांड संख्या 219/25 दर्ज करते हुए सभी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।

पलामू पुलिस अधीक्षक ने इसे एक बड़ी सफलता बताया है।

सम्मान या संदेह? – पत्रकारों के ‘सम्मान समारोह’ पर विधिक सवाल

वहीं, इससे कुछ दिन पूर्व हुसैनाबाद अनुमंडलीय अस्पताल में प्रभारी चिकित्सक डॉ. एस. के. रवि ने अपने योगदान (Post-joining) के कुछ ही दिन में पत्रकारों को एक औपचारिक सम्मान समारोह में शॉल आदि भेंट कर सम्मानित किया।

हालांकि, यह आयोजन जितना सम्माननीय प्रतीत होता है, उतना ही कानूनी और नैतिक दृष्टि से संदिग्ध भी है।

प्रश्न जो उत्तर माँगते हैं:

क्या यह सम्मान किसी विभागीय आदेश या स्वास्थ्य विभाग की अधिसूचना के तहत दिया गया था?

क्या अस्पताल प्रशासन को इस तरह के ‘सम्मान समारोह’ आयोजित करने का अधिकार है?

क्या यह सरकारी पद की आड़ में "जनसंपर्क" साधने की कोशिश थी?

सम्मान में जो सामग्री (शॉल, अन्य वस्तुएं) दी गईं, क्या उसका खर्च सरकारी निधि से वहन किया गया?

यदि नहीं, तो खर्च का स्रोत क्या था और उसकी पारदर्शिता कहां है?

प्रभारी डॉक्टर की भूमिका संदिग्ध

डॉ. एस. के. रवि ने अस्पताल में योगदान के कुछ ही समय बाद यह आयोजन कर यह संदेश दिया कि वह मीडिया से सहयोग की अपेक्षा रखते हैं। हालांकि, यह सम्मान अपने आप में विधिक प्रक्रिया और वित्तीय पारदर्शिता से कोसों दूर दिखता है।

प्रश्न यह नहीं कि सम्मान क्यों दिया गया, बल्कि प्रश्न यह है कि किस आधार पर, किस उद्देश्य से, और किस प्रक्रिया के तहत यह दिया गया?

सम्मान समारोह के पीछे की 'संवेदनशीलता'

सवाल यह भी है कि जब अस्पताल जनता की सेवा का केंद्र है, तो पत्रकारों को व्यक्तिगत रूप से सम्मानित करने की जरूरत क्यों पड़ी?

क्या यह एक तरह का ‘पूर्वनियोजित मधुर संवाद’ (soft handling) का प्रयास था?

प्रबंधन की चुप्पी – जवाब कौन देगा?

अस्पताल प्रबंधन की ओर से इस आयोजन पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया या सूचना उपलब्ध नहीं कराई गई है।

यह चुप्पी ही सवालों को और गहरा करती है।

निष्कर्ष: एक तस्वीर, दो रूप

जहां हुसैनाबाद पुलिस ने अवैध शराब तस्करों के खिलाफ कार्रवाई कर कानून का राज स्थापित करने की दिशा में मजबूत कदम उठाया, वहीं अस्पताल में पत्रकारों को सम्मानित किए जाने की प्रक्रिया ने पारदर्शिता, वैधानिकता और नैतिकता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

लोकतंत्र में पत्रकारिता चौथा स्तंभ है, लेकिन जब यह स्तंभ सम्मान की आड़ में "प्रभावित" किया जाए, तो यह पूरी व्यवस्था के लिए खतरे की घंटी है।

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