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मैं सैनिक हूं वर्दी की इज्जत करना जानता हूं पूर्व मंत्री K N त्रिपाठी बोले फर्जी FIR के पीछे कोई बड़ा खेलI am a soldier and I know how to respect the uniform. Former minister K N Tripathi said there is a big game behind the fake FIR

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पूर्व मंत्री के एन त्रिपाठी 

हुसैनाबाद/पलामू:

झारखंड की राजनीति एक बार फिर विवादों के घेरे में है। राज्य के पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री केएन त्रिपाठी पर SC/ST एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है। आरोप है कि उन्होंने अपने ही सुरक्षा गार्ड को थप्पड़ मारा और जातिसूचक टिप्पणी की। लेकिन इस पूरे मामले में जो सबसे चौंकाने वाला मोड़ सामने आया है, वह खुद त्रिपाठी का बयान है – जिसमें उन्होंने इस एफआईआर को ‘पूर्व नियोजित साजिश’ करार दिया है। newsrbc.in के संपादक मुजाहिद अहमद ने पूर्व मंत्री से बात की, तो उन्होंने पूरे प्रकरण को सिरे से खारिज किया।

क्या है मामला?

घटना लातेहार के जुबली चौक की है, जब केएन त्रिपाठी एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए डाल्टनगंज से लातेहार जा रहे थे। रास्ते में ट्रैफिक जाम लगा हुआ था। केएन त्रिपाठी की गाड़ी फंसी रही, और उनके दोनों बॉडीगार्ड्स उन्हें अकेला छोड़ कर आगे जाम देखने चले गए।

जब पूर्व मंत्री ने बीस मिनट  इंतेज़ार किया गार्ड नहीं  आए तो  खुद उतरकर पैदल आगे गए जाम हटवाने पहुँचे, तब उन्होंने देखा कि एक काली स्कॉर्पियो रास्ता रोक कर खड़ी थी। स्कॉर्पियो को पीछे हटवाया , तो सभी गाड़ी आगे गई। 

इस दौरान त्रिपाठी ने अपने गार्ड्स की गैरहाजिरी पर नाराजगी जताई आप दोनों गार्ड हमें इस तरह अकेला छोड़कर चले जाते हो? एक और गार्ड कहा है? तो गार्ड के इशारे पर  देखा कि एक दुकान के पास खड़ा है। तो उन्होंने कहा  कि ये तो गलत बात है अगर कोई गोली चला देता तो? आप लोग मेरी सुरक्षा कर रहे हो ?


वहीं गार्ड्स का दावा है कि मंत्री जी ने उन्हें थप्पड़ मारा और जातिसूचक टिप्पणी की। इसके बाद वे लातेहार थाना पहुँचे और शिकायत दर्ज करवाई, जिसे बाद में मेदिनीनगर टाउन थाना में जीरो एफआईआर के रूप में स्वीकार किया गया।

यह कोई पहली बार नहीं है’ – बोले त्रिपाठी, याद दिलाया पुराना मामला

पूर्व मंत्री त्रिपाठी ने इस मामले को एक साजिश बताते हुए कहा:

इससे पहले एक पलामू की डीसी ने इसी तरह का मामला प्रेरित कराकर मेरे खिलाफ फर्जी हरिजन एक्ट की FIR दर्ज करवाई थी। बाद में सच सामने आया और सब कुछ स्पष्ट हो गया था आज फिर ये एक घटना के रूप में दोहराई जा रही है।

मैं खुद एक सैनिक रह चुका हूं। मुझे वर्दी की कीमत पता है। मैं ने वर्दी का अपमान नहीं किया है और भविष्य में भी नहीं कर सकता हूं, मैने  कभी किसी की जाति पर टिप्पणी नहीं की है न कर सकता हूं। यह एक फर्जी मामला है, जिसे किसी के इशारे पर दर्ज कराया गया है। सत्य की विजय होगी। इस आरोप में जीरो प्रतिशत सत्यता है।

सवाल सिर्फ मंत्री पर नहीं, सुरक्षा कर्मियों पर भी उठते हैं

इस घटनाक्रम में केवल पूर्व मंत्री के व्यवहार पर नहीं, सुरक्षा कर्मियों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं।

क्या यह स्वीकार्य है कि दोनों गार्ड्स एक साथ मंत्री को अकेला छोड़कर चले जाएं?

क्या यह सुरक्षा प्रोटोकॉल का उल्लंघन नहीं है?

एक वीआईपी को बीच सड़क में 20 मिनट तक अकेले छोड़ना क्या ड्यूटी में लापरवाही नहीं कहलाएगी?

त्रिपाठी ने बताया:

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गार्ड जिनपर नशा करने का आरोप लगाया गया 

मेरे दोनों गार्ड अकसर ड्यूटी में लापरवाही बरतते थे। कई बार ड्राइवर और घरवालों से भी काम नहीं करने की इच्छा जताई थी। वे ड्यूटी के दौरान  भी रात में शराब पीते थे, मैंने कई बार उन्हें ऐसा करने से रोका था।

अगर मंत्री का यह पक्ष सही है, तो सवाल सुरक्षा व्यवस्था की गुणवत्ता पर भी है – क्या ऐसे गार्ड्स को वीआईपी ड्यूटी पर रखा जाना चाहिए?

सत्य और साजिश के बीच उलझी कहानी

इस घटना ने झारखंड की राजनीति में एक बार फिर सच्चाई और साजिश के बीच की पतली रेखा को उजागर कर दिया है। जहां एक ओर सुरक्षा गार्ड्स का आरोप गंभीर है, वहीं दूसरी ओर पूर्व मंत्री की पुरानी घटनाओं से जुड़ी दलीलें और उनके अनुशासन की छवि भी अनदेखी नहीं की जा सकती।

यह साफ है कि मामला सिर्फ कानूनी नहीं, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक सरोकारों से भी जुड़ा है।

अब आगे क्या?

मामले की जांच सब-इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी को सौंपी गई है।

पूर्व मंत्री की सफाई और आरोपों की गहन जांच की जाएगी।

अगर यह सच में एक राजनीतिक साजिश है, तो इसके पीछे कौन है – यह बड़ा सवाल है।

✍️ निष्कर्ष:

यह मामला केवल एक थप्पड़ या टिप्पणी का नहीं, बल्कि उस भरोसे का है जो जन प्रतिनिधियों और सुरक्षा व्यवस्था के बीच होना चाहिए। जब तक सच्चाई सामने नहीं आती, तब तक यह प्रकरण झारखंड की राजनीति में एक नई बहस का विषय बना रहेगा –

क्या यह न्याय की मांग है, या फिर सत्ता के विरुद्ध खेली जा रही एक चाल?

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