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मां-बच्चे की मौत के बाद भी नहीं जागा प्रशासन: अवैध क्लिनिक में डिलीवरी के दौरान मंजू कुमारी की दर्दनाक मौत, कथित डॉक्टर संजय यादव फरारAdministration did not wake up even after the death of mother and child: Manju Kumari died a painful death during delivery in an illegal clinic, alleged doctor Sanjay Yadav absconding

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हुसैनाबाद न्यूज़ मंजू कुमारी फाइल फोटो


हुसैनाबाद (पलामू),10 सितम्बर 2025

चौवआ चट्टान क्षेत्र के एक अवैध निजी क्लिनिक में हुई दर्दनाक घटना ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया है। 25 वर्षीय मंजू कुमारी, जिनकी शादी वर्ष 2020 में औरंगाबाद जिले के बटूरा गाँव में हुई थी, इन दिनों अपने मायके चौवआ चट्टान हुसैनाबाद (पलामू) में रह रही थीं। प्रसव की तिथि निकट आने पर, 4 सितंबर की सुबह जब उन्हें तेज प्रसव पीड़ा हुई, तो परिजनों ने उन्हें तत्काल स्थानीय डॉक्टर संजय कुमार यादव के निजी क्लिनिक में भर्ती कराया।


घबराइए नहीं, हमहीं ने अगला बच्चा भी डिलिवर कराया था...

परिजनों का कहना है कि डॉक्टर संजय ने भरोसा दिलाया कि सब ठीक रहेगा।

घबराइए नहीं, हमहीं ने अगला बच्चा भी कराया था, सब नॉर्मल है",

यही कहकर डॉक्टर उन्हें बार-बार शांत करता रहा। परिजन डॉक्टर से बार-बार आग्रह करते रहे कि मंजू को बेहतर सुविधा वाले अस्पताल में रेफर कर दें, लेकिन डॉक्टर बार-बार आश्वासन देता रहा और किसी दूसरे अस्पताल ले जाने से मना करता रहा।

देरी हुई, और मंजू की मौत हो गई — बच्चा भी न बच सका

धीरे-धीरे मंजू की तबीयत और बिगड़ती गई। डॉक्टर की लापरवाही, देरी और असुविधा के कारण मंजू और उसका नवजात शिशु दोनों की मौत हो गई। एक माँ का सपना, एक नवजीवन की शुरुआत – दोनों एक झूठे भरोसे और एक अवैध चिकित्सा तंत्र की भेंट चढ़ गए।

घटना के बाद जैसे ही परिजन शव लेकर घर गए, डॉ. संजय यादव क्लिनिक बंद कर फरार हो गया।

कौन है यह कथित डॉक्टर?

सूत्रों के अनुसार, संजय कुमार यादव गोरिया थाना क्षेत्र का निवासी है। वह वर्षों से चौवआ चट्टान में निजी क्लिनिक, मेडिकल स्टोर और स्कूल का संचालन कर रहा था – बिना किसी वैध मेडिकल डिग्री और लाइसेंस के। ग्रामीणों का कहना है कि:

ना क्लिनिक का कोई पंजीकरण है,

ना डॉक्टर की कोई वैध डिग्री सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है,

और प्रशासनिक मिलीभगत से यह क्लिनिक वर्षों से संचालित होता रहा।

डीसी के स्पष्ट निर्देश के बावजूद अवैध क्लिनिक कैसे चल रहा था?

गौरतलब है कि पलामू की उपायुक्त श्रीमती समीरा एस ने कुछ माह पूर्व सख्त निर्देश जारी किए थे कि:

जिले में जितने भी अवैध क्लिनिक व बिना लाइसेंस चल रहे अस्पताल हैं, उन्हें तत्काल सील कर कार्रवाई की जाए। 

फिर सवाल उठता है कि:

यह क्लिनिक अब तक क्यों चल रहा था?

क्या स्वास्थ्य विभाग ने कभी निरीक्षण किया?

क्या हुसैनाबाद अनुमंडल प्रशासन, थाना और अस्पताल प्रबंधन को इसकी जानकारी नहीं थी?

मंजू की मौत के बाद भी क्या प्रशासन सोता रहेगा?

परिजनों ने घटना के बाद हुसैनाबाद थाना में लिखित आवेदन देकर कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने प्रशासन और सरकार से निम्न मांगें की हैं:

परिजनों की माँग:

कथित डॉक्टर संजय यादव की अविलंब गिरफ्तारी हो।

उसके अवैध क्लिनिक, मेडिकल और स्कूल को सील किया जाए।

स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी तय हो, दोषियों पर विभागीय कार्रवाई हो।

मंजू कुमारी के परिवार को सरकारी मुआवजा प्रदान किया जाए।

अनुमंडलीय स्तर पर क्लिनिक निरीक्षण अभियान चलाया जाए।

कानूनी रूप से क्या हो सकती है कार्रवाई?

इस मामले में IPC के तहत गंभीर धाराओं में मामला दर्ज हो सकता है:

धारा 304A – लापरवाही से मृत्यु,

धारा 419/420 – जालसाजी और धोखाधड़ी,

क्लिनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट, एमसीआई एक्ट के तहत भी कार्रवाई संभव है,

झोला छाप डॉक्टरों (Quackery) के खिलाफ विशेष अधिनियम भी लागू किया जा सकता है।

एक सवाल जो प्रशासन से हर नागरिक पूछ रहा है:

क्या हुसैनाबाद सीओ, थाना प्रभारी और अनुमंडलीय अस्पताल के प्रभारी इस घटना का संज्ञान लेकर तुरंत कार्रवाई करेंगे?

मंजू की मौत सिर्फ एक घरेलू त्रासदी नहीं है — यह हमारे सिस्टम की विफलता, सरकारी दिशा-निर्देशों की अवहेलना, और गरीबों की चिकित्सा लाचारी का उदाहरण है।

अब और मंजू नहीं मरनी चाहिए…

जब तक ऐसे अवैध क्लिनिकों और झोला छाप डॉक्टरों पर तुरंत कार्रवाई नहीं होती, तब तक न जाने कितनी मंजू और उनके नवजात शिशु यूँ ही दम तोड़ते रहेंगे।


अब वक्त है कि प्रशासन जवाबदेह बने, और जनता की जान के साथ खिलवाड़ करने वालों पर कड़ी कार्रवाई करे।


यह रिपोर्ट सिर्फ एक समाचार नहीं – यह एक माँ के टूटे हुए सपने की चीख है। क्या प्रशासन अब भी नहीं जागेगा?

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